Headline
दो पहिया वाहन के लिए नियत करें पार्किंग का स्थान महाराज
दो पहिया वाहन के लिए नियत करें पार्किंग का स्थान महाराज
मुख्यमंत्री धामी ने किया छात्रसंघ समारोह का शुभारंभ, विश्वविद्यालय विकास के लिए प्रतिबद्धता दोहराई
मुख्यमंत्री धामी ने किया छात्रसंघ समारोह का शुभारंभ, विश्वविद्यालय विकास के लिए प्रतिबद्धता दोहराई
आईपीएल 2025 के 34वें मुकाबले में आज रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु से भिड़ेगी पंजाब किंग्स
आईपीएल 2025 के 34वें मुकाबले में आज रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु से भिड़ेगी पंजाब किंग्स
आज से अगले दो दिन तक गर्मी से मिलेगी राहत, झोंकेदार हवा का ऑरेंज अलर्ट जारी 
आज से अगले दो दिन तक गर्मी से मिलेगी राहत, झोंकेदार हवा का ऑरेंज अलर्ट जारी 
कर्ज में डूबी अपनी सरकारी एयरलाइन को बेचेगा पाकिस्तान, अगले हफ्ते शुरू होगी बिक्री प्रक्रिया 
कर्ज में डूबी अपनी सरकारी एयरलाइन को बेचेगा पाकिस्तान, अगले हफ्ते शुरू होगी बिक्री प्रक्रिया 
चारधाम यात्रा के लिए खोले जाएंगे ऑफलाइन पंजीकरण काउंटर 
चारधाम यात्रा के लिए खोले जाएंगे ऑफलाइन पंजीकरण काउंटर 
सीएम धामी ने विदेशी घुसपैठियों के खिलाफ तत्काल कठोर कार्यवाही के दिए निर्देश
सीएम धामी ने विदेशी घुसपैठियों के खिलाफ तत्काल कठोर कार्यवाही के दिए निर्देश
साउथ सुपरस्टार सूर्या की आगामी फिल्म ‘रेट्रो’ सेंसर बोर्ड से यूए सर्टिफिकेट के साथ हुई पास 
साउथ सुपरस्टार सूर्या की आगामी फिल्म ‘रेट्रो’ सेंसर बोर्ड से यूए सर्टिफिकेट के साथ हुई पास 
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में यमुना नदी की सफाई और पुनरुद्धार के लिए हुई उच्च स्तरीय बैठक
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में यमुना नदी की सफाई और पुनरुद्धार के लिए हुई उच्च स्तरीय बैठक

अंबानी-अडानी, खरबपतियों का चंदा कहां?

अंबानी-अडानी, खरबपतियों का चंदा कहां?

हरिशंकर व्यास
कैसी हैरानी की बात है कि मोदी राज में सबसे ज्यादा धंधा खरबपतियों का बढ़ा। अडानी जगत सेठ हुआ। अंबानी कुबेरपति हुआ। पैसे से भारत की संस्कृति का ढिंढोरा करता है। इनके साथ टाटा, बिड़ला सहित टॉप के बीस खरबपति दिन-दुनी, रात-चौगुनी की रफ्तार से भारत के लोगों से पैसा कमाते हुए हैं लेकिन वे इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीददारों की लिस्ट से लगभग गायब। यों कुछ जानकार शेल याकि खोखा कंपनियों से बॉन्डस लेन-देन की बारीकी तलाश रहे हैं। लेकिन मोटा मोटी मोदी सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना में जुआरियों, सटोरियों, काला बाजारियों और ठेकेदारों से ही चुनाव और राजनीति के नाम पर वसूली हुई दिखती है। और यह हैरानी की बात है।

तभी अपना सवाल है कि सरकारी प्रोजेक्टों और मुंबई, दिल्ली आदि महानगरों के ठेकेदारों, बिल्डरों की इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदने-देने के साथ सौदेबाजी का यदि सीक्वेंस है तो भला विनिवेश, खान आवंटन से लेकर अंतरराष्ट्रीय सौदों, खरीद-फरोख्त के खरबपतियों के कारोबार की वसूली का क्या रूप है? जब चिंदीमार, खोखा कंपनियों को ईडी, सीबीआई, आईटी से लाइन हाजिर करा वसूली हुई है तो खरबपतियों के लेवल का चंदा कहां गया? क्या इस रीति-नीति पर चला गया कि छोटे कारोबारी भाजपा पार्टी के लिए और वैश्विक खरबपति किसी और काम के लिए?

भला और क्या काम हो सकता है? आप ही अनुमान लगाएं। लुटियन दिल्ली में जितने मुंह उतनी बात है। मगर इतना तय है कि भारत के टॉप सौ अरबपतियों की कंपनियों में बिना इलेक्टोरल बॉन्ड्स के कई नाम निकल आएंगे। और फिर यदि इनकों नौ वर्षों में मिली सरकारी कंपनियों, विनिवेश, लाइसेंसों की पूरी सूची के साथ तुलना करें तो वह क्या आंख खोल देने वाली नहीं होगी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top