Headline
गर्मी का बढ़ेगा असर, मानसून से पहले राहत की उम्मीद नहीं
गर्मी का बढ़ेगा असर, मानसून से पहले राहत की उम्मीद नहीं
युवाओं में तेजी से बढ़ रही बीमारियां
युवाओं में तेजी से बढ़ रही बीमारियां
गुरु तेग बहादुर की 350वीं पुण्यतिथि पर भावपूर्ण नाटक प्रस्तुत, युवाओं को दिया प्रेरणा संदेश
गुरु तेग बहादुर की 350वीं पुण्यतिथि पर भावपूर्ण नाटक प्रस्तुत, युवाओं को दिया प्रेरणा संदेश
ऋषिकेश हाईवे पर बड़ा हादसा, तेज रफ्तार और गलत दिशा बनी हादसे की वजह
ऋषिकेश हाईवे पर बड़ा हादसा, तेज रफ्तार और गलत दिशा बनी हादसे की वजह
कोलंबिया में राष्ट्रपति पद के प्रमुख दावेदार मिगुएल उरीबे पर जानलेवा हमला, देश में छाया राजनीतिक संकट
कोलंबिया में राष्ट्रपति पद के प्रमुख दावेदार मिगुएल उरीबे पर जानलेवा हमला, देश में छाया राजनीतिक संकट
सीएम धामी ने किया 126 करोड़ की 27 विकास योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास
सीएम धामी ने किया 126 करोड़ की 27 विकास योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास
भारत ने आतंकवाद पर अपनाया कड़ा रुख- डॉ. एस. जयशंकर
भारत ने आतंकवाद पर अपनाया कड़ा रुख- डॉ. एस. जयशंकर
रुद्रप्रयाग में बड़ा हादसा टला, हेलीकॉप्टर में आई तकनीकी खराबी, सड़क पर करवाई इमरजेंसी लैंडिंग
रुद्रप्रयाग में बड़ा हादसा टला, हेलीकॉप्टर में आई तकनीकी खराबी, सड़क पर करवाई इमरजेंसी लैंडिंग
राहुल गांधी का भाजपा पर बड़ा हमला, महाराष्ट्र चुनाव को बताया ‘मैच फिक्सिंग’
राहुल गांधी का भाजपा पर बड़ा हमला, महाराष्ट्र चुनाव को बताया ‘मैच फिक्सिंग’

यमुना हमारी सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर

यमुना हमारी सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर

सुशील देव
छठ पूजा के अवसर पर यमुना नदी एक बार फिर चर्चा का विषय बनी। इसकी साफ-सफाई और स्वच्छता को लेकर फिर से कई सवाल दागे गए। वादे-कस्में दुहराए गए। लेकिन हर बार यह चर्चा-परिचर्चा किसी समाधान तक नहीं पहुंचती। हर साल यही होता है-राजनीतिक बयानबाजी, आरोप-प्रत्यारोप और गंदी राजनीति का खेल। गंदी राजनीति की वजह से यमुना कहीं अधिक गंदी हो रही है। चर्चाओं के दौरान नदी की स्थिति पर केवल औपचारिक बातें की जाती हैं। यमुना की हालत हर दिन बिगड़ती जा रही है। गंदे नालों का पानी, झाग, बदबूदार काला पानी और जहरीले रसायन न केवल नदी को दूषित कर रहे हैं, बल्कि आसपास रहने वाले लोगों की जिंदगी पर भी गंभीर असर डाल रहे हैं। राजनीतिक दल केवल अपनी राजनीति साधने में व्यस्त हैं।

कभी पवित्र मानी जाने वाली यमुना की दुर्दशा कोई नई बात नहीं है। इसे स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए कई सरकारें आई और गई। लाखों-करोड़ों रु पये खर्च हुए, बड़े-बड़े आंदोलन और अभियान चलाए गए, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। नदी को गंदा करने वाले असली गुनहगार कौन हैं, यह आज तक तय नहीं हो सका। दरअसल, यह समस्या प्रशासनिक लापरवाही और खराब ड्रेनेज व्यवस्था का नतीजा है। दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से फेल हो चुका है। थोड़ी सी बारिश होते ही राजधानी की सडक़ों पर पानी भर जाता है।

बारिश का पानी के निकलने का कोई समुचित इंतजाम नहीं है। नालों की सफाई न होने और जल निकासी की व्यवस्था खराब होने से नाले उफान मारते हैं। पहले नदी का पानी बढऩे से शहर में बाढ़ आती थी, लेकिन अब शहर का पानी ही बाढ़ जैसे हालात पैदा कर देता है। दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम 1976 के टाउन प्लान पर आधारित है। उस समय दिल्ली की आबादी केवल 60 लाख थी, जो अब 2024 में बढ़ कर लगभग 3 करोड़ हो गई है। इस 48 साल पुराने सिस्टम से मौजूदा आबादी की जरूरतें पूरी करना संभव नहीं है। नया ड्रेनेज मास्टर प्लान बनाने की कई घोषणाएं हुई, लेकिन वह अब तक कागजों में ही सिमटा हुआ है। दिल्ली में 2846 से ज्यादा नाले हैं, जिनकी कुल लंबाई 3692 किलोमीटर है। इनमें से कई नाले ठोस कचरे, सीवेज और अतिक्रमण के कारण जाम हो चुके हैं। कई बड़े नालों का गंदा पानी सीधे यमुना में गिरता है। इससे नदी में प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। यमुना मॉनिटरिंग कमिटी ने सभी बड़े नालों के मुहाने पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट यानी एसटीपी लगाने की सिफारिश की थी लेकिन इस दिशा में भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

2018 में आईआईटी के एक प्रोफेसर ने दिल्ली सरकार को नया ड्रेनेज मास्टर प्लान सौंपा था। इस प्लान में बारिश के पानी और सीवेज के लिए अलग-अलग व्यवस्था करने की सिफारिश की गई थी। लेकिन इस पर भी काम शुरू नहीं हो पाया। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सीवरेज और बाढ़ के पानी की निकासी के लिए अलग व्यवस्था नहीं होगी, तब तक समस्या बनी रहेगी। वहीं पीडब्ल्यूडी के मुताबिक, दिल्ली का मौजूदा ड्रेनेज सिस्टम 24 घंटे में केवल 50 मिमी. बारिश को ही संभाल सकता है। इससे अधिक बारिश होने पर जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2000 के बाद दिल्ली में तेजी से शहरीकरण हुआ। खाली जमीनों पर अनधिकृत कॉलोनियां बस गई, हरित क्षेत्र घट गए और फ्लैटों का निर्माण बढ़ गया। इस सबने ड्रेनेज सिस्टम पर अतिरिक्त दबाव डाला।

दिल्ली के तीन प्रमुख प्राकृतिक जल निकासी बेसिन-ट्रांस यमुना, बारापुला और नजफगढ़-भी ठोस कचरे और अतिक्रमण की समस्या से जूझ रहे हैं। कई जगह जल निकासी के रास्ते पूरी तरह बंद हो चुके हैं। आरके पुरम, करोल बाग और दरियागंज जैसे इलाकों में नालों पर अतिक्रमण के कारण उनकी सफाई मुश्किल हो गई है। यह समस्या यमुना नदी के प्रदूषण को और बढ़ा रही है। यमुना को प्रदूषण से बचाने के लिए जरूरी है कि नालों का गंदा पानी सीधे नदी में जाने से रोका जाए। ठोस कचरे और सीवेज के उचित प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होना चाहिए। नालों की नियमित सफाई और उन पर अतिक्रमण हटाना भी अनिवार्य है।

यमुना को साफ करने के लिए केवल सरकारी प्रयास काफी नहीं होंगे। समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा। हमें अपने नालों और नदी में कचरा डालने से बचना होगा। सरकार को भी अपने वादों पर अमल करते हुए एसटीपी स्थापित करने और ड्रेनेज मास्टर प्लान को लागू करने में तत्परता दिखानी चाहिए। यमुना नदी की स्थिति केवल एक नदी का मुद्दा भर नहीं है, यह हमारे प्रशासन, राजनीति और समाज की सामूहिक विफलता को भी दर्शाता है। यदि हम अब भी नहीं चेते तो आने वाले समय में यह समस्या और गंभीर हो सकती है। यमुना केवल एक नदी भर नहीं है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर भी है। इसे बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top